Shiv Bavni 3 of 52
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बाने फहराने घहराने घण्टा गजन के,
नाहीं ठहराने राव राने देस देस के।
नग भहराने ग्रामनगर पराने सुनि,
बाजत निसाने सिवराज जू नरेस के।।
हाथिन के हौदा उकसाने कुंभ कुंजर के,
भौन को भजाने अलि छूटे लट केस के।
दल के दरारे हुते कमठ करारे फूटे,
केरा के से पात बिगराने फन सेस के।।

Bane fahraane ghahraane ghanta gajan ke,
Nahi thahraane raav raane des des ke.
Nag bhahraane graamnagar paraane suni,
Baajat nisaane sivaraj joo nares ke.
Haathin ke hauda ukasaane kumbh kunjar ke,
Bhaun ko bhajaane ali chhute lat kesh ke.
Dal ke daraare hute kamath karaare phoote,
Kera ke se paat bigaraane phan ses ke.

मराठी अर्थ

बाने = भालेदारांच्या भाल्यांवर असलेले झेंडे. फहराने = फडकतो. नग = डोंगर. भहराने =घाईत पडणे. निसान = ढोल, घोड्यांवर ढोल वाजवणारे जो ध्वज लावतात त्याला निशाण म्हणतात. पराने = पळून गेले. कुम्भ = हत्तीचे डोके, घागरी. कुञ्जर = हत्ती. उकसाने = भडकले, सैल झाले. भौन = इमारत किंवा घर. हाथिन के …… लट केस के = हत्तींचे हौदे (हत्तीच्या पाठीवर लावले जाणारे आसन) सैल  झाले आहेत आणि हत्तींच्या डोक्यावर उडणारे भुंगे आपापल्या घरी पळून गेले, कारण भुंगे हत्तींच्‍या ज्या मद्या वर गुंजत होते ते मद्य त्याांच्या डोक्यावर राहिले नही.  शत्रु-स्त्रियांची  लटें (केस) बिघडले आहेत किंवा त्यांचा पूर्ण शृंगार बिघडला आहे.  दल = सैन्य. दरार = प्रतिध्वनी आवाज. कमठ = कासव. करारे =मजबूत. सेस = पृथ्वीचा भार स्वतःवर वाहणारा शेषनाग. विहराने = फाटलेले. दल के ….. सेस के = शिवरायांच्या सैन्याच्या दहशतीमुळे पृथ्वीला धरून ठेवलेल्या शेषनागाचा फणाचे मऊ केळीच्या पानांसारखे तुकडे उडाले आणि शेषनाग ज्या मजबूत कासवाच्या पाठीवर स्थित आहे त्याचे सुद्धा खिळखिळे झाले आहे. कासव और शेषनाग याविषयी पुराणात असे लिहिले आहे की या दोघांवर पृथ्वीचे वजन आहे. भूषणजींनी येथे याच बद्दल सूचित केले आहे.

हिंदी अर्थ

बाने = झण्डे जो भालेबरदारों के भालों पर लगे रहते हैं। फहराने = उड़े| नग=पहाड़। भहराने = हड़बड़ी में गिर जाना। निसान = नगाड़े, घोड़ों पर नगाड़े वाले जो झण्डा रखते हैं उसे निशान कहते हैं | पराने = भाग गये। कुम्भ = हाथी का सिर, घड़ा। कुञ्जर = हाथी। उकसाने = उकस गये, ढीले पड़ गये। भौन = भवन या घर । हाथिन के …… लट केस के = हाथियों के हौदे (हाथी की पीठ पर रखकर कसा जानेवाला आसन) उकस गये अर्थात् उनकी कसावट ढीली पड़ गई और हाथियों के मस्तक पर उड़ते हुए भौंरें अपने अपने घरों को भाग गये, क्योंकि भौंरे हाथियों के जिस मद पर भिनभिना रहे थे वह मद ही उनके मस्तक पर न रहा । शत्रु-स्त्रियों की लटें (अलके) इधर उधर छूट पड़ीं या उनका सारा शृंगार ही बिगड़ गया। दल = सेना। दरार = गूंजती आवाज़। कमठ = कछुआ। करारे = मज़बूत। सेस = शेषनाग जो अपने ऊपर पृथ्वी का बोझ लाद रहा है। विहराने = विदीर्ण होगये, फट गये। दल के ….. सेस के = शिवाजी की सेना के आतंक से पृथ्वी को धारण करने वाले शेषनाग के फन की, केले के कोमल पत्ते की तरह धज्जियां उड़ गयीं और शेषनाग की स्थिति जिस करारे ( मज़बूत) कछुए की कमर पर है उसकी भी खील खील होगयी। कमठ और शेषनाग के सम्बन्ध में पुराणों में लिखा है कि पृथ्वी का भार इन्हीं दोनों के ऊपर है। भूषणजी ने इसी की ओर यहाँ संकेत किया है।

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