Shiv Bavni 5 of 52
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बद्दल न होंहिं दल दच्छिन घमंड माँहिं,
घटा हू न होहि दल सिवाजी हँकारी के ।
दामिनी दमंक नाहि खुले खग्ग विरन के,
वीर सिर छाप लखु तीजा असवारी के ।।
देखि देखि मुगलों की हरमैं भवन त्यागैं,
उझकि उझकि उठैं बहत बयारी के ।
दिल्ली मति भूली कहैं बात घन घोर घोर,
बाजत नगारे जे सितारे गढ़ धारी के ।।

Badal na honhi dal dachhin ghamand maahin,
Ghata hoo na hohi dal Sivaji hankari ke.
Daamini damank nahi khule khagg viran ke,
Veer sir chaap lakhoo teejaa aswaari ke.
Dekhi dekhi Mughalon ki haramai bhavan tyagai,
Ujhaki ujhaki uthain bahat bayari ke.
Delhi mati bhooli kahain baat ghan ghor ghor,
Baajat nagaare je sitaare gadh dhaari ke.

मराठी अर्थ

बद्दल = ढग. हँकारी =उद्धट, अहंकारी. दामिनी = वीज. दमक= चमकणे. स्वमा = खांडगा खंडा, तलवार. सिराप = पगडीच्या पुढच्या बाजूला, शूर सैनिक विविध प्रकारच्या सुंदर चमकदार खुणा (ठसे) लावतात. तीजा असवारी = तीजची सवारी, राजपुतानातील हरतालिका, राजांची स्वारी तीजला मोठ्या सोहळ्याने काढली जाते. दामिनी दमंक …… असवारी के =  विजेचा लखलखाट पाहून एखाद्याची कल्पना येते की ती विजेचा लखलखाट नाही तर तलवारींचा लखलखाट आहे, तीजावर स्वार झालेल्या योद्ध्यांच्या मस्तकांचा तेजस्वी ठसा त्याचा चमत्कार दाखवत आहे. हरम = महिलांचा कक्ष. बयारी = हवा. मति भूली = संभ्रमात पडलो. दिल्ली मत भूली = दिल्लीतील लोकांचे मन खचले आहे. सितारेगढ़ धारी = स्टार किल्ल्याचा स्वामी शिवाजी.

      शिवरायांची शत्रूंवर इतकी दहशत आहे की भय आणि गोंधळामुळे ते ढगांचा गडगडाट आणि विजेला शिवाजीचे सैन्य मानतात. इतक्या की, वाऱ्याचा आवाज ऐकून मुघल स्त्रिया रात्रीच्या वेळी या राजवाड्यापासून तिकडे आणि तिथून तिकडे पळत सुटतात. शिवरायांचे सैन्य तोफांचा मारा करत असल्याचा शत्रूंना संशय होता हे उघड झाले.

हिंदी अर्थ

बद्दल = बादल। हँकारी = घमण्डी, अहंकारी। दामिनी = बिजली| दमक= दमक-चमक। स्वमा = खंड्ग खाँड़ा, तलवार। सिराप = साफे के ऊपर सामने की ओर वीर सिपाही भाँति भाँति के सुन्दर चमकदार चिह्न (छाप) लगा लेते हैं।  तीजा असवारी = तीज की असवारी, राजपूताने में हरतालिका, तीज को राजाओं की सवारी बड़े समारोहपूर्वक निकलती है। दामिनी दमंक …… असवारी के =  बिजली की दमक देखकर यह कल्पना होती है कि वह बिजली की चमक नहीं बल्कि तलवारें कौंधा मार रही हैं, तीजा की सवारी के वीरों के सरपेचों की चमकीली छाप अपना चमत्कार दिखा रही हैं। हरम = स्त्रियों का कक्ष। बयारी = हवा । मति भूली = भ्रम में पड़ी। दिल्ली मत भूली = दिल्ली वालों की अक्कल मारी गयी है। सितारेगढ़ धारी = सितारे के किले का स्वामी, शिवाजी।

        शिवाजी का शत्रुओं पर कितना अधिक आतंक है कि वह गरजते हुए बादलों और कड़कती हुई बिजली को, भय एवम् भ्रम से, शिवाजी की सेना समझ लेते हैं । यहाँ तक कि हवा के झोंकों की आवाज़ सुनकर मुग़ल- स्त्रियाँ, रात में झिझक फिक कर, इस महल से उसमें और उससे उसमें भागती फिरती हैं। पत्ता खड़का कि शत्रुओं को शिवाजी की सेना के तोप दाग़ने का सन्देह हुआ

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