प्रेतिनी पिशाचऽरु निसाचर निसाचरिहु,
मिलि मिलि आपुस में गावत बधाई हैं।
भैरौं भूत प्रेत भूरि भूधर भयंकर से,
जुत्थ जुत्थ जोगिनी जमात जुरिआई हैं।।
किलकि किलकि कै कुतूहल करति काली,
डिम डिम डमरू दिगम्बर बजाई है।
सिवा पूँछै सिव सौ समाज आजु कहाँ जली,
काहू पै सिवा नरेस भृकुटी चढाई है।।
Pretni pishaach-nisachar nisacharihu,
Mili mili aapus mein gaavat badhaai hai.
Bhairaun bhoot pret bhuri bhudhar bhayankar se,
Jutth jutth jogini jamaat juriaai hai.
Kilaki kilaki kai kutoohal karti kaali,
Dim dim damru digambar bajaai hai.
Siva puchhe Siva sau samaj aaju kahaan jali,
Kahhu pai Siva nares bhrikuti chadhai hai.
मराठी अर्थ
भूरि = खूप. भूधर = डोंगर. जुत्थ = समुदाय. जमात = संघ, भुंड. दिगम्बर = महादेव. डिमडिम = डमरूचा आवाज. भृकुटी चढ़ाई है = निधी दिला. शिवा=पार्वती. शिव = महादेव.
शिवाजी महाराजांनी युद्ध घोषणा करताच भूत, पिशाच, राक्षस – राक्षसी, भैरव, भूत, काली इत्यादी आनंदाने उड्या मारत आहेत. म्हणजेच आता शिवराज रणांगणावर पोहोचून एवढा नरसंहार घडवून आणतील की आपण प्रेत खाऊन, त्यांचे रक्त पिऊन तृप्त होऊ, हे सर्वांना समजले आहे. भगवान भूतनाथ आपल्या मुंडमाले करिता अजून किती मुंडके उपलब्ध होतील म्हणून डिमडीम डमरू वाजवत आहेत. यावरून शिवरायांच्या युद्धाच्या भयंकरतेचा अंदाज बांधता येतो.
हिंदी अर्थ
भूरि = बहुत। भूधर = पहाड़। जुत्थ = समुदाय। जमात = संघ, भुण्ड। दिगम्बर = महादेव। डिमडिम = डमरू बजने का शब्द। भृकुटी चढ़ाई है = कोष किया है। शिवा=पार्वती। शिव = महादेव।
शिवाजी के युद्ध घोषणा करते ही प्रेतिनी, पिशाच, राक्षस – राक्षसी, भैरव-भूत, काली आदि आनन्द से उछल रहे हैं। अर्थात् यह सब समझते हैं कि अब शिवराज रण-भूमि में पहुँच कर इतना नरसंहार करेंगे कि हम बड़े मजे में खूब आनन्द के साथ, मुर्दों को खाकर और उनका खून पीकर तृप्त हो सकेंगे । भगवान् भूतनाथ इसलिये डिमडिम डमरू बजा रहे हैं कि उनकी मुण्डमाला के लिये अब और कितने ही मुण्ड (सिर) मिल जायंगे । इससे शिवाजी की रण-भयङ्करता का कुछ अनुमान किया जा सकता है ।