कत्ता की कराकनि चकत्ता को कटक काटि,
कीन्हीं सिवराज वीर अकह कहानियाँ ।
‘भूषन’ भनत तिहुँ लोक में तिहारी धाक,
दिल्ली औ बिलाइति सकल बिललानियाँ ॥
आगरे अगारन है फाँदती. कगारन छ्वै,
बाँधती न बारन मुखन कुम्हिलानियाँ ।
कीबी कहँ कहा औ गरीबी गहे भागी जाहि,
बीबी गहँ सूनथी सु नीवी गहै रानियाँ ॥
Katta ki karakani chakta ko katka kaati,
Keenhein Sivaraj veer akah kahaaniyaan.
Bhushan’ bhanat tihun lok mein tihari dhaak,
Dilli aur Bilaaiti sakal bilalaaniyaan.
Aagre agaaran hai faandati. Kagaaran chhvai,
Baandhti na baaran mukhan kumhilaaniyaan.
Keebee kahan kaha aur gareebi gahe bhaagi jaahi,
Beebi gahan soonthi su neevi gahai raaniyaan.
मराठी शब्दार्थ:
कत्ता = खंडा, तलवार. कराकनि = कठोर, मारा आणि दुखापत. चकत्ता = (चुगताई घराणे). औरंगजेब. कटक = सैन्य. अकह = अवर्णनीय. धाक = वर्चस्व. विलाइत = परदेशात. बिललानियाँ = व्याकुळ झाले. अगारन = राजवाडा, घर. कगारन = मुंडेली. कीवी =करेल. नींवी = नाभीच्या खाली धोतराचा बांध किंवा लेहेंगा किंवा पायजमाच्या कमरपट्ट्याचा फाटा.
शिवरायांच्या तलवारीच्या दहशतीमुळे शत्रूंच्या स्त्रिया (ज्यात मुस्लिम आणि हिंदू दोन्ही आहेत) जीव वाचवण्यासाठी छतावरून पळत आहेत, त्यांना आपल्या शरीराचे भान राहिलेले नाही. त्यांचे केस विस्कटलेले आहेत आणि त्या नीट कपडेही घालू शकत नाही. अशा संकटात त्यांच्यापासून स्वतःला वाचवण्यासाठी त्या वाट्टेल ते करत आहेत .
हिंदी शब्दार्थ:
कत्ता = खाँड़ा, तलवार । कराकनि = कड़ाका, मार चोट । चकत्ता = (चुगताई वंश). औरंगजेब । कटक = सेना | अकह = अकथनीय । धाक = दबदबा | विलाइत = विदेश | बिललानियाँ = व्याकुल होगयीं । अगारन = महल, घर | कगारन = मुंडेली | कीवी = करेंगी। नींवी = नाभि के नीचे धोती का बंधन या लहंगे अथवा पायजामे के कमरबन्द की सरकफूंद ।
शिवाजी की तलवार के आतंक से शत्रुओं (जिनमें मुसल- मान और हिन्दू दोनों शामिल हैं) की स्त्रियां प्राण बचाने के विचार से, छतों को फांद कर भागी जारही हैं, उन्हें तन-बदन का कुछ भी होश नहीं है । बाल बिखरे हुए हैं, कपड़े भी अच्छी तरह नहीं पहन सकी हैं। ऐसी व्याकुलता में उनसे अपने बचाव के लिये जो कुछ बनता है, कर रही हैं।